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रविवार, 11 मई 2014

माँ तुझे सलाम !

         माँ हर जीवन की आधारशिला - एक जीवन जिससे जुड़ कर अस्तित्व में आता है और फिर धरती पर आते ही खुद माँ  अलग करके उसे स्वतन्त्र अस्तित्व में परिवर्तित कर दिया जाता है।  लेकिन माँ तो एक समर्पित , त्यागमयी और हमारे अस्तित्व का एक मजबूत स्तम्भ होती है।  हमारे व्यक्तित्व , कृतित्व और उपलब्धियों की  नींव बनती है उसको उसका प्रथम श्रेय उसको ही जाता था।  हम उसको समझते हैं और उसको स्वीकार भी करते हैं।  प्रथम शिक्षक बन वह एक एक अक्षर बोलने के लिए दिशा भी उससे ही मिलती है - शब्द उससे मिले , वाक्य उससे सीखे और फिर हम लिखने लगे।  जीवन के हर पहलू को सबसे पहले उसको करते हुए देखा और फिर महसूस किया और ग्रहण किया।  उसने अपने जीवन के संघर्ष में , समृद्धि में या फिर संयुक्त परिवार के दबाव में रह कर सब काम करते हुए भी हमें आँचल की छाँव दी , रोये तो उसे आँचल से आंसू पौंछ कर चुप करा दिया।  हठ किया तो पूरा कर दिया।
                           हर बार तो नहीं लेकिन इस बार भी ये दिन अपनी माँ के साथ इस दिन को गुजारने का फैसला किया। दुनियां में सबसे यही गुजारिश करूंगी  कि  जिनके लिए संभव हो वे  माँ के पास जाएँ।  अलग रहते हैं तो वे भी छुट्टी  का दिन है न तो फिर एक दिन उनके नाम करें।  जिनके माँ दूर रहती हों वे उनसे बात करके जरूरी नहीं कि वे मदर्स डे से परिचित हों लेकिन उनको इस दिन सिर्फ आप के बात कर लेने भर से उनके मन को तसल्ली हो जाती है और  बच्चों को अपने बहुत करीब पातीं हैं।
                आज के बाद से आरम्भ करने जा रही हूँ एक ऐसी श्रृंखला जिसमें अपने साथियों के माँ के साथ जुड़े भावोँ और अनुभवों को प्रस्तुत करने जा रही हूँ। 

                                       आज सारी माँओं  को ढेर सा प्यार और बच्चों को माँ का प्यार !

                                                                               

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (12-05-2014) को ""पोस्टों के लिंक और टीका" (चर्चा मंच 1610) पर भी है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. माँ के साथ जितना भी समय बिताया जा सके कम ही है ...

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  3. अब सबके भावों का इंतज़ार है

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  4. इस शुरूवात के लिए धन्यवाद रेखा जी

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  5. इस शुरूवात के लिए धन्यवाद रेखा जी

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